Thursday, March 1, 2012

मौकापरस्ती


सब्जी लेकर लौटते समय सड़क पर लगी भीड़ को देखकर मै रुक गया , सोचा कि देखू क्या मामला है ? पास जाकर देखा , एक आदमी को बहुत से लोग बुरी तरह पीट रहे थे ! उन्ही में से एक आदमी जो उसे पीटकर लौट रहा था ' मैंने पूछा ..... भाई साहब क्या हुआ ? पता नहीं, हुआ होगा कुछ........ उसने बेपरवाही से उत्तर दिया ....! पता नहीं...., लेकिन आप तो स्वयं उसे पीट रहे थे .......; फिर आपको पता क्यों नहीं ? मैंने पूछा !
वो जनाब खिसियानी हँसी हॅंसते हुए बोले, वो तो सभी उसे पीट रहे थे , तो हमने सोचा कि चलो बहती गंगा में हम भी हाथ धो ले ....... , इतना कहकर वो तो चले गए लेकिन मैं उनकी हँसी ..... तथा गंगा का मतलब खोजता रह गया...