विनीत उपाध्याय की लघुकथा
बाल
निवाला थूकते हुए राहुल जोर से चिल्लाया ! राहुल की चीख ने आराम करती हुई सरला की नींद में खलल पैदा कर दी ! ये क्या बेहूदगी है ? रोजाना सब्जी और रोटी में बाल निकलते है ! अगर तुम्हारे बाल झड़ रहे है तो डॉक्टर से दवा क्यों नहीं लेती ? यूं रोजाना बाल क्यों खिलातीं हो! राहुल गुस्से में चिल्ला रहा था !
सरला ने तमतमाते हुए कहा अगर बाल बर्दाशत नहीं कर सकते तो नौकरानी का इंतजाम कर लो मै कोई तुम्हारी नौकरानी नहीं हूँ , जिसने खाना बनाने का ठेका ले रखा हो ! इतना कहकर सरला पैर पटकते हुए अपने कमरे मे चली गई ! बेटे और बहू की बढती हुई तकरार को देखकर माँ ने कुछ सकुचाते हुए बेटे से कहा - "बेटा ! बहू पर नाराज़ मत हो ! उसकी कोई गलती नहीं है , आजकल मेरे ही बाल झड़ रहे है ! अब आगे से मै ध्यान रखूंगी" माँ के शब्द सुनकर राहुल हतप्रभ रह गया और सोचने लगा की क्या सरला रोज माँ से ही .....................!